ऋषभ चौरसियाः-
गणेश चतुर्थी भारत के सबसे बड़े और भव्य त्योहारों में से एक है, जिसे हर साल श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 7 सितंबर को मनाया जाएगा, और इसके साथ ही 10 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव की तैयारियों में लोग जुट गए हैं। घरों और सार्वजनिक स्थानों पर भगवान गणेश की स्थापना की जाती है, और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान, भक्त अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं और गणपति बप्पा के स्वागत के लिए सजावट और भोग की पूरी तैयारी करते हैं।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों की जागरूकता में बढ़ोतरी हुई है, और इसका प्रभाव गणेश चतुर्थी पर भी देखा जा सकता है। पहले जहां प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी मूर्तियों का चलन था, वहीं अब लोग ईको-फ्रेंडली मूर्तियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। लखनऊ के मशहूर चित्रकार और मूर्तिकार पंकज गुप्ता बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ है। पर्यावरण को नुकसान से बचाने के उद्देश्य से लोग अब POP की जगह प्राकृतिक सामग्रियों से बनी मूर्तियों का चयन कर रहे हैं, जो विसर्जन के दौरान आसानी से पानी में घुल जाती हैं और जलस्रोतों को प्रदूषित होने से बचाती हैं।
पंकज गुप्ता पिछले 6 सालों से इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमा बनाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं। वे न केवल इन प्रतिमाओं को तैयार कर बेचते हैं, बल्कि लोगों को भी इनकी निर्माण विधि सिखाते हैं। पंकज गुप्ता अपनी मूर्तियों को बनाने के लिए साढ़ू मिट्टी का उपयोग करते हैं, जो महाराष्ट्र के पारंपरिक कलाकारों द्वारा भी इस्तेमाल की जाती है। इसके अलावा, वे प्राकृतिक रेशों, कागज, और अन्य बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों का भी प्रयोग करते हैं, जिससे उनकी मूर्तियाँ पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल होती हैं।
इन मूर्तियों का आकार आमतौर पर छह इंच से लेकर एक फुट तक होता है। विशेष बात यह है कि हर मूर्ति में किसी पौधे का बीज डाला जाता है। जब इन मूर्तियों का भू-विसर्जन किया जाता है, तो इससे एक नए पौधे के पनपने का अवसर मिलता है, जिससे पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद मिलती है। पंकज बनाते है उनकी बनाई इको फ्रेंडली गणेश की मूर्तियां फ्रांस तक गई हैं। जबकि, उनका यह प्रयास न केवल पारंपरिक कला को जीवित रखता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक भी करता है।