महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थित है. इस शहर के कई दूसरे परिचय भी हैं. लेकिन फिलहाल इस शहर के बाशिन्दों ने इस नाम को ही अख्तियार किया है. हम विश्वविद्यालय पर लौटते हैं. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ अपना 44वां दीक्षांत समारोह मना रहा है. टॉपर्स को पदक दिए गए हैं. गाजे-बाजे के साथ भव्य आयोजन किया गया है. इस दौरान एक तस्वीर सामने आई. जिसमें विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी हवन करते हुए नज़र आ रहे हैं.
विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में धर्म विशेष की रीति-रिवाजों के मुताबिक पूजा-पाठ होने पर सवाल है. ये सवाल जरा असहज कर सकते हैं. आखिर ये सालों से होता आ रहा है. लगभग सभी विशेष आयोजनों में दीप प्रज्ज्वलन की रस्म तो निभाई ही जाती है. लेकिन सवाल हवन जैसे कर्मकांड पर है. सवाल ये है कि क्या इतनी ही सहजता से विश्वविद्यालय प्रशासन किसी अन्य धर्म विशेष की रीति-रिवाज से पूजा-पाठ कर सकता है? क्या ऐसा करने पर उसका विरोध नहीं होगा? विश्वविद्यालय से जुड़े लोग उतने ही सहज रहेंगे जीतने अभी हैं?
इस सवाल को एक हालिया घटना के आलोक में भी देखा जाना चाहिए. उत्तर प्रदेश में एक ज़िला है बरेली. जहां एक सरकारी स्कूल में प्रार्थना के दौरान विधार्थी ‘लब पर आती है दुआ बनकर तमन्ना मेरी…’ गा रहे हैं. इसे लेकर हिंदू संगठनों ने विवाद शुरू कर दिया. आरोप लगा कि इस प्रार्थना के जरिए धर्मांतरण की साजिश रची जा रही है. BSA ने कार्रवाई करते हुए स्कूल के अध्यापक नायक सिद्दीकी को सस्पेंड कर दिया. इस विवाद पर बहस छिड़ी तो कहा गया कि स्कूल में धर्म विशेष की प्रार्थना नहीं कराई जानी चाहिए.
BHU का विवाद:
काशी हिंदू विश्वविद्यालय यानि BHU. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से करीब 4-6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. BHU के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन इसी साल अप्रैल महीने के आखिरी सप्ताह में एक इफ्तार पार्टी में शामिल हुए. इफ्तार पार्टी का आयोजन जैन महिला महाविद्यालय में किया गया था. प्रो. सुधीर कुमार जैन का जमकर विरोध हुआ. धर्म विशेष की गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप लगा. कहा गया कि एक विश्वविद्यालय के कुलपति को किसी धार्मिक आयोजन का हिस्सा नहीं होना चाहिए.

हालांकि स्कूल-कॉलेजों में सरस्वती पूजा का आयोजन हमेशा से ही होता आया है. विद्यालय को शिक्षा का ‘मंदिर’ कहा जाता है. मंदिर शब्द पर विशेष जोर देकर पढ़ा जाना चाहिए. यदि मंदिर का भाव पवित्र स्थल से है तो क्या विद्यालय को शिक्षा का ‘मस्जिद/गिरजाघर…’ कहा जा सकता है? सबसे बड़ा सवाल कि क्या इसे उसी सहजता के साथ बरता भी जाएगा?

राजनीतिक स्पेक्ट्रम पर हम नए संसद भवन का भूमि पूजन देखते हैं. जहां खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्मकांड में शामिल होते हैं. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जब फ्रांस जाते हैं राफेल विमान की आमद के लिए तब राफेल पर स्वास्तिक बनाए जाने की तस्वीर भी हम देखते हैं. राफेल के आगे निम्बू रखा जाता है.

हिंदुस्तान की बहुसंख्यक आबादी हिंदू है. लेकिन देश बहुसंख्यकवाद से तो चलता नहीं है. इस देश में हमारे पुरखों ने तय किया कि मुल्क लोकतंत्र से चलेगा. जहां सर्व धर्म संभाव की भावना होगी. हर धर्म एक समान. देश धर्मनिरपेक्ष है. यानि जिसका कोई धर्म नहीं. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में बुद्धिजीवी शिक्षक और विधार्थी हैं. ऊंचे स्तर का विमर्श होता है. लेकिन ज़रा सा ध्यान बेसिक बातों का, आधारभूत मूल्यों का भी रखना है.