ऋषभ चौरसियाः-
SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के विरोध में देश भर में उबाल है। इस फैसले के खिलाफ अनुसूचित जाति और जनजाति संगठनों ने 21 अगस्त को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया, जिसे बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) का समर्थन मिला। बंद के समर्थन में राजधानी लखनऊ सहित कई जगहों पर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए गए।
लखनऊ के हजरतगंज में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के पास बसपा कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। उनकी मांग थी कि अगर आरक्षण में कटौती की जा रही है, तो जाति प्रथा को भी खत्म किया जाए। प्रदर्शनकारियों ने संसद में संशोधन बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की मांग की। बसपा अध्यक्ष मायावती ने इस संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ पर कहा कि आरक्षण के खिलाफ भाजपा, कांग्रेस, और अन्य पार्टियों के षड्यंत्र से समुदायों में गहरी नाराजगी है। उन्होंने संविधान संशोधन के माध्यम से आरक्षण में हुए बदलाव को रद्द करने की मांग की और शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने की अपील की।
मायावती ने कहा कि एससी-एसटी और ओबीसी समुदायों को मिला आरक्षण, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के संघर्ष का परिणाम है, और इसे बनाए रखने की अनिवार्यता को सरकारें समझें। उन्होंने चेतावनी दी कि भाजपा, कांग्रेस, और अन्य पार्टियां आरक्षण के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न करें।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए, इस बंद का समर्थन करते हुए कहा कि आरक्षण की रक्षा के लिए जन-आंदोलन एक सकारात्मक प्रयास है, जो शोषित-वंचित वर्गों में नई चेतना का संचार करेगा। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने पहले ही आगाह किया था कि संविधान तभी प्रभावी होगा जब उसे लागू करने वालों की मंशा सही होगी। उन्होंने कहा कि जब सरकारें संविधान और अधिकारों के साथ खिलवाड़ करती हैं, तो जनता को सड़कों पर उतरना ही पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश में इस ‘भारत बंद’ का आंशिक असर देखा गया। लखनऊ, कानपुर, और प्रयागराज जैसे प्रमुख शहरों में दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में सामान्य गतिविधियां जारी रहीं। दोपहर 12 बजे तक सड़क और रेल यातायात पर भी बंद का खास असर नहीं दिखा। स्कूल और कॉलेज खुले रहे, और सड़कों पर भीड़भाड़ सामान्य दिनों की तरह ही रही। हालांकि, दलित बस्तियों में गली-कूचों की कुछ दुकानों ने बंद का समर्थन किया। बंद के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए सुरक्षा बलों को सतर्क रखा गया था।