आनन्द कुमारः-
नई दिल्ली: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) आज दोपहर 3 बजे एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस में जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा करने जा रहा है। यह चुनाव दोनों राज्यों के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे, विशेषकर जम्मू-कश्मीर के लिए, जहां अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव आयोजित किए जाएंगे।
जम्मू-कश्मीर: लोकतंत्र की पुनर्स्थापना की दिशा में पहला कदम
जम्मू-कश्मीर में कुल 90 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होंगे, जिनमें 43 सीटें जम्मू क्षेत्र से और 47 सीटें कश्मीर क्षेत्र से होंगी। इस बार चुनाव छह चरणों में अक्टूबर-नवंबर में आयोजित किए जाएंगे। इनमें से 9 सीटें अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए आरक्षित की गई हैं। यह चुनाव न केवल जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुनर्स्थापित करेगा, बल्कि क्षेत्र में स्थिरता और विकास की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
चुनाव आयोग ने हाल ही में राज्य का दौरा किया और चुनावी तैयारियों का जायजा लिया। सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी चुनाव आयोग ने राज्य के संवेदनशील इलाकों की पहचान की है और वहां अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती सुनिश्चित की जा रही है।
हरियाणा: सत्ता के संघर्ष का मैदान तैयार
हरियाणा में भी 90 विधानसभा सीटों के लिए चुनावी तैयारियां जोरों पर हैं। राज्य विधानसभा का कार्यकाल नवंबर 2024 में समाप्त हो रहा है, और इसी कारण से चुनाव आयोग आज चुनाव की तारीखों का ऐलान करने जा रहे है और अन्य क्षेत्रीय दलों के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है।
राजनीतिक दल पहले से ही चुनावी अभियान में जुट गए हैं, और जनता के बीच अपने समर्थन को बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं। इस बार का चुनाव हरियाणा के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि राज्य की राजनीति में यह चुनाव कई नए समीकरणों को जन्म दे सकता है।
चुनाव का महत्व
जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में होने वाले इन चुनावों का महत्व केवल सत्ता के बदलाव तक सीमित नहीं है, बल्कि ये चुनाव इन राज्यों के भविष्य की दिशा तय करेंगे। जम्मू-कश्मीर में यह चुनाव एक नई राजनीतिक शुरुआत का संकेत है, वहीं हरियाणा में यह सत्ता संघर्ष का निर्णायक चरण होगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है और इन चुनावों के बाद दोनों राज्यों की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है।