Economic Survey: जनवरी महीने का सूर्य डूबने को है. दो दिन शेष हैं. फिर आएगा 1 फरवरी. जिस दिन पूरे देश में सबसे ज्यादा चर्चा होगी बजट की. आपके-हमारे बजट पर असर डालने वाला बजट. यानी कि देश का बजट. देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन तैयार हैं लाल एकरंगे में बंधे भारी-भरकम आंकड़ों वाले बजट को देश की संसद में पेश करने के लिए. लेकिन इस बजट से पहले एक इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) पेश किया जाएगा. आने वाले सत्र में सरकार की क्या प्लानिंग ये आम बजट में बताया जाएगा. लेकिन बीते सत्र में सरकार ने कितना खर्च किया? अपने लक्ष्य को कितना हासिल किया? इन सवालों का जवाब दिया जाएगा इकोनॉमिक सर्वे में. कह सकते हैं देश में कितना खर्च हुआ और कितनी बचत हुई, इसका बही-खाता है इकोनॉमिक सर्वे
इकोनॉमिक सर्वे कई मायनों में जरूरी होता है. ये सर्वे एक तरह से हमारी अर्थव्यवस्था के लिए डायरेक्शन का काम करता है. इसी से पता चलता है कि हमारी अर्थव्यवस्था कैसी चल रही है और इसमें सुधार के लिए हमें क्या करने की जरूरत है? इकोनॉमिक सर्वे से ही अर्थव्यवस्था का ट्रेंड पता चलता है. इसी के आधार पर सरकार को सुझाव दिए जाते हैं कि बेहतर प्रदर्शन के लिए कौन से जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए. उदाहरण के तौर पर पिछले साल के इकोनॉमिक सर्वे में सुझाव दिया गया था कि अगर भारत को 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करना है तो इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 1.4 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने की जरूरत है.
देश लोकतांत्रिक है. तो पूरी व्यवस्था भी लोकतांत्रिक ढंग से होनी चाहिए. इकोनॉमिक सर्वे का भी हाल ऐसा ही है. सरकार इकोनॉमिक सर्वे को पेश करने या इसमें शामिल सिफारिशों को मानने के लिए कतई बाध्य नहीं है. ये पूरी तरह सरकार के अधिकार क्षेत्र में है कि वो इसे पेश करेगी या नहीं? इसमें शामिल सुझावों पर विचार करेगी या नहीं?
सस्ते-महंगे का हिसाब:
पहले इकोनॉमिक सर्वे एक ही वॉल्यूम में पेश किया जाता था. लेकिन, 2014-15 से इसे दो वॉल्यूम में पेश किया जाने लगा. आमतौर पर पहले वॉल्यूम में अर्थव्यवस्था की चुनौतियों पर फोकस रहता है और दूसरे वॉल्यूम में अर्थव्यवस्था के सभी खास सेक्टर्स का रिव्यू होता है. इसके अलावा इसमे statistical appendix को भी जोड़ा जाता है जिसमें कई तरह के जरूरी आंकड़े होते हैं.
इकोनॉमिक सर्वे से इस बात का भी अंदाजा लगाया जाता है कि पिछले साल के आधार पर इस साल क्या कुछ महंगा हो सकता है और क्या सस्ता हो सकता है. इकोनॉमिक सर्वे से राजकोष और महंगाई दर के साथ-साथ अर्थव्यवस्था से जुड़ी देश की सभी economic activities की भी जानकारी मिल जाती है. इन सब से इस बात का अंदाजा लगाया जाता है कि आने वाले साल में अर्थव्यवस्था में मंदी रहेगी या फिर तेजी.
Economic Survey तैयार कौन करता है?
अब सवाल आता है कि इसे तैयार कौन करता है. दरअसल वित्त मंत्रालय के अंदर इकोनॉमिक अफेयर्स विभाग है. इस डिपार्टमेंट के अंदर एक इकोनॉमिक डिवीजन आती है. यही इकोनॉमिक डिवीजन चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर यानी कि मुख्य आर्थिक सलाहकार की देख-रेख में इकोनॉमिक सर्वे तैयार करती है.
देश का पहला इकोनॉमिक सर्वे साल 1950-51 के बीच पेश किया गया था. खास बात यह है कि साल 1964 तक इकोनॉमिक सर्वे को देश के आम बजट के साथ ही पेश किया जाता था. लेकिन फिर इसे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाने लगा.