कुमार विश्वास. कवि कथाकार और आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता. अक्सर ही कुमार विश्वास का नाम सुर्खियों में रहता है. वजह उनके बयान हैं. एक बार फिर कुमार विश्वास अपने एक ट्वीट और बयान को लेकर खबरों में बने हुए हैं. हाल ही में द लल्लनटॉप को दिए अपने एक इंटरव्यू में कुमार विश्वास धर्म और सियासत के घालमेल पर बात कर रहे थे. जिसे लेकर तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बहस छिड़ी हुई है.
पहले आपको बता देते हैं कि कुमार विश्वास ने कहा क्या था. उन्होंने कहा कि “अगर मेरे सामने ये चुनाव आ जाए कि गीता और संविधान में से किसी एक को चुनना पड़े तो एक सेकंड का 100वां हिस्सा व्यर्थ किए बग़ैर संविधान को चुन लेंगे.” विश्वास आगे कहते हैं कि “ईश्वर ना करे लेकिन अगर मुझे सनातनी होने और भारतीय होने में किसी एक को चुनना हो तो बग़ैर समय व्यर्थ किए बग़ैर भारतीय होने को चुन लेंगे.”
कुमार विश्वास कहते हैं कि “ऐसा ही मुसलमानों को भी करना चाहिए. अगर कुरान और संविधान में चुनना हो तो संविधान को चुनें.” इसी बयान पर बहस हो रही है. कुमार विश्वास पर निशाना भी साधा जा रहा है.
इस बयान पर चर्चा के बीच ही कुमार विश्वास ने AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के एक ट्वीट पर लिखा कि “वक़ील साहब आपकी हर बात सर-आँखों पर बस ज़रा इतनी सी ज़हमत करें कि ये दो बहुत ज़रूरी बात आप भी एक-बार खुलेआम बोल भर दें। बोलिए- अगर इस्लाम और भारत में एक को चुनने का मौक़ा होगा तो मैं इस्लाम छोड़कर भारत चुनूँगा। अगर क़ुरान शरीफ़ और संविधान में एक को चुनने का मौक़ा होगा तो मैं संविधान चुनूँगा। (आपके वीडियो बयान के सदियों से इंतज़ार में एक ‘भारतीय-सनातनी’)”
दरअसल ओवैसी ने ट्वीट किया था कि “दशकों में पहली बार, इंटेलिजेंस ब्यूरो के सीनियर लीडरशिप में कोई मुस्लिम अधिकारी नहीं होगा। यह उस संदेह का संकेत है कि भाजपा मुसलमानों को किस नजर से देखती है। आईबी और रॉ विशिष्ट बहुसंख्यकवादी संस्थान बन गए हैं। आप लगातार मुसलमानों से वफादारी का सबूत मांगते हैं, लेकिन उन्हें कभी भी एकसमान नागरिक के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं.”
इस बीच ट्विटर पर अजयेंद्र उर्मिला त्रिपाठी नाम के एक यूजर ने दिलचस्प ट्वीट किया है. अजयेंद्र ने प्रो. दिलीप मंडल के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा है कि “ज्यादा लोड मत लीजिए, यहां बस कवि को सांत्वना पुरस्कार देना चाह रहे हैं मंडल जी. वैसे इनका तो बनता भी है, भाजपा की एक मात्र काइयां मंत्रालय वाली वेकेंसी पर ये पहले ही विश्वास की जगह चुने जा चुके हैं.”
दिलीप मंडल ने कुमार विश्वास के बयान पर हो रही बहस को लिखा था कि “मेरे लिए कोई दो रास्ते या दुविधा नहीं है। धर्म और राष्ट्र के बीच किसी एक को चुनने की नौबत आ गई तो मैं हमेशा राष्ट्र को चुनूँगा। भारतीय होना मेरी पहली और सबसे प्रमुख पहचान है।”
अजयेंद्र ने जो बात लिखी है उसकी पूरी ज़मीन देखेंगे तो काफी कुछ साफ़ नज़र आएगा. दरअसल पिछले कुछ दिनों में कई मुद्दों पर प्रो. मंडल के ट्वीट भाजपा के समर्थन वाले रहे हैं. सीधे तौर पर ना सही लेकिन मंडल भाजपा का समर्थन करते देखे गए हैं. हालांकि उनका दावा इसके उलट रहता है.
कुमार विश्वास के लिए भी सोशल स्पेक्ट्रम में यही राय रहती है कि वो भाजपा के समर्थक हैं. कश्मीर से धारा-370 हटाने के मुद्दे से लेकर कई अन्य मुद्दों पर कुमार विश्वास ने भाजपा सरकार का समर्थन किया है. वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी खुलकर तारीफ़ भी करते हैं.
सियासी हलचलों पर नज़र रखने वाले बताते हैं कि भाजपा को एक ऐसे शख्स की तलाश थी जो राजनीतिक चर्चा में बेहद सक्रिय हो लेकिन सीधे तौर पर पार्टी से ना जुड़ा हो. यानी ओपिनियन लीडर की तलाश थी.