बृजभूषण शरण सिंह (Brijbhushan Sharan Singh). कैसगंज से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद हैं. 6 बार लोकसभा चुनाव जीते हुए हैं. भारतीय कुश्ती संघ (Wrestling Fedradtion Of India) के अध्यक्ष भी हैं. वो भी कुल 11 सालों से. इन दिनों बृजभूषण शरण सिंह के सियासी आकाशगंगा में ग्रह-नक्षत्रों की दशा कुछ ठीक नहीं चल रही है. कुश्ती खिलाड़ियों ने उन पर यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. बृजभूषण शरण सिंह के विरोध में विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया जैसे कई बड़े खिलाड़ी जंतर-मंतर पर धरना दे रहे हैं.
इस पूरे मामले का एक एंगल बीजेपी की भीतरी राजनीति से जोड़कर देखी जा रही है. बृजभूषण शरण सिंह बाहुबली नेता हैं. बेबाक नेता की छवि है. कई बार पार्टी लाइन से हटकर भी बयान दे देते हैं. चाहे वो राज ठाकरे के अयोध्या दौरे का विरोध हो या फिर रामदेव की पतंजलि घी को नकली बताने का मामला रहा हो. गोंडा, बहराइच, अयोध्या वाली बेल्ट में बृजभूषण शरण सिंह की पकड़ बेहद मजबूत है. यही वजह है कि उनका टिकट कभी नहीं कटा. लेकिन माना जा रहा है कि बृजभूषण शरण सिंह को साइडलाइन करने के लिए ये विवाद खड़ा करवाया गया है. क्योंकि जो बबीता फोगाट उनके खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं वो ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रोफाइल फोटो लगाए हुए हैं. बीजेपी के कई बड़े नेता उनकी जीत पर ट्वीट करते रहे हैं. ऐसे में पीएम मोदी तक सीधे बात ना पहुंचाकर धरने का रास्ता चुनना सवाल पैदा करता है.
बबीता फोगाट ने आज एक ट्वीट किया है. बबीता लिखती हैं कि “खिलाड़ियों की लड़ाई प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, दीदी स्मृति ईरानी या बीजेपी से नहीं है. खिलाड़ियों की लड़ाई फेडरेशन और एक व्यक्ति के खिलाफ है. मैं कांग्रेस पार्टी को यह कहना चाहती हूँ कि वह अपने फायदे के लिये खिलाड़ियों के आंदोलन पर ओछी राजनीति करना बंद करें.”
ट्वीट की पर गौर कीजिए. बबीता फोगाट सीधे लिख रही हैं कि लड़ाई एक व्यक्ति के खिलाफ है. लड़ाई फेडरेशन के खिलाफ है. पीएम मोदी, स्मृति ईरानी और बीजेपी के खिलाफ ये लड़ाई नहीं है. बबीता फोगाट को बताना चाहिए कि क्या फेडरेशन और वो ‘व्यक्ति’ यानि बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी से अलग हैं? केंद्र में बीजेपी की सरकार है. बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी के सांसद हैं. तो क्या ये मसला सिर्फ एक व्यक्ति के खिलाफ हो सकता है? अगर है भी तो क्या बीजेपी की सरकार को इसमें हस्तक्षेप नहीं करनी चाहिए? क्या पीएम मोदी या केंद्र सरकार का खेल मंत्रालय बृजभूषण शरण सिंह का इस्तीफा नहीं ले सकता है? अगर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जांच बैठानी होगी तो कौन बैठाएगा? क्या इसकी जिम्मेदारी सरकार की नहीं है?
बता दें कि खिलाड़ियों का धरना जंतर-मंतर पर चल रहा है. जहां वृंदा करात भी खिलाड़ियों को समर्थन देने पहुंची थी. लेकिन उन्हें मंच पर नहीं आने दिया गया. बजरंग पुनिया ने खुद वृंदा करात को मंच पर ना आने की बात कही. खिलाड़ियों का कहना है कि ये कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं है. इसलिए इसे लेकर राजनीति ना हो. सवाल ये है कि भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पर यौन शोषण का आरोप लगा है. दुनिया भर में जाकर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों ने आरोप लगाया है. तो ऐसे में विपक्षी दल सरकार से क्यों ना सवाल पूछें?
बोल दूंगा तो सुनामी आ जाएगी:
इस पूरे विवाद को लेकर आज बृजभूषण शरण सिंह ने गोंडा में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. अपने पक्ष में सफाई देने के साथ ही उन्होंने सभी आरोपों को गलत बताया. लेकिन इस दौरान उन्होंने कहा कि “मैं बोल दूंगा तो सुनामी आ जाएगी, मैं किसी की दया से नहीं बना चुन कर आया हूं.” सियासत के जानकारों का मानना है कि ये सीधे तौर पर बीजेपी आलाकमान को जवाब है. उनका ये कहना कि ‘मैं किसी दया से नहीं बना हूं’ ये सीधे तौर पर पार्टी के सबसे बड़े नेता नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को इशारा भी माना जा रहा है.
बीते तीन दिनों से कुश्ती खिलाड़ियों का धरना जारी है. खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ खिलाड़ियों की एक बार बैठक हो चुकी है. बातचीत बेनतीजा रही. खिलाड़ी बृजभूषण शरण सिंह के इस्तीफे से कम किसी भी चीज़ पर राजी नहीं हैं. दूसरी ओर बृजभूषण शरण सिंह के तेवर अभी भी पहले जैसे ही हैं. तमाम विवादों के बाद भी वो इस्तीफा देने के मूड में नज़र नहीं आ रहे हैं. बीजेपी मझधार में है. क्योंकि निकाय चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव सिर पर है. ऐसे वक्त में बृजभूषण शरण सिंह जैसे जमीनी पकड़ वाले नेता से खिलवाड़ पार्टी को भारी पड़ सकता है. देखना होगा कि इस प्रकरण का अंतिम अध्याय कैसा और किसके हाथों लिखा जाता है?