उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने हड़ताल किया था. 72 घंटे के हड़ताल का ऐलान बिजली कर्मचारियों ने किया था. हड़ताल करीब 65 घंटे तक चला भी. फिर उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा (एके शर्मा) के साथ दो दौर की वार्ता के बाद ये हड़ताल खत्म हुआ. बिजली कर्मचारियों के नेता शैलेंद्र दुबे ने हड़ताल खत्म होने का ऐलान किया. उन्होंने बयान दिया कि “इस दौरान बिजली कर्मचारियों या संविदा कर्मियों पर जो कार्रवाई हुई है सरकार ने उसे वापस लेने का निर्देश दे दिया है. साथ ही बिजली कर्मचारियों की मांगों पर साकारात्मक विचार करने का आश्वासन भी दिया है.”
दूसरी ओर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बयान दिया कि “बिजली कर्मचारियों के साथ बैठक में बगैर किसी शर्त के हड़ताल खत्म करने की बात हुई. सरकार हमेशा कर्मचारियों के साथ खड़ी है. हड़ताल के दौरान बर्खास्तगी और मुकदमें की जो कार्रवाई हुई है उसे वापस लेने के निर्देश दिए गए हैं.” लेकिन 65 घंटे से ज्यादा चले इस हड़ताल ने प्रदेश भर में हाहाकार मचा दिया था. कई इलाकों में बिजली की सप्लाई ठप हो गई थी. लोग परेशान थे. जहां-तहां बिजली कर्मचारी बिजली आपूर्ति बंद करके हड़ताल पर चले गए थे.
इस पूरे प्रकरण के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा हुई ऊर्जा मंत्री एके शर्मा की. एके शर्मा ने पहले कर्मचारियों से बातचीत की. बात बनी नहीं. कर्मचारियों की मांग नहीं मानी गई तो हड़ताल जारी रहा. एके शर्मा हड़ताल करने वाले कर्मचारी नेताओं को अपने पक्ष में मनाने में पहले विफल हो गए. बिजली सप्लाई बंद होने से उनकी और भी भद्द पिटी कि कोई बैकअप प्लान तैयार नहीं था.
हड़ताल के दूसरे दिन एके शर्मा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. जिसमें उन्होंने धमकी भरे लहज़े में हड़ताल करने वाले कर्मचारियों को चेतावनी दी कि हड़ताल बंद करें नहीं तो उन्हें बर्खास्त किया जाएगा. मुकदमे दर्ज होंगे और एक साल तक जेल में भी रहना पड़ सकता है. करीब 3000 से ज्यादा कर्मचारियों पर ESMA के तहत कार्रवाई की भी गई. जिसे अब वापस लिया जाएगा.
हड़ताल के दौरान CM योगी:
हड़ताल का पहला दिन था 18 मार्च को. इस दिन योगी आदित्यनाथ वाराणसी के दौरे पर थे. वाराणसी में सीएम योगी ने कालभैरव मंदिर में दर्शन किए. फिर काशी विश्वनाथ धाम में पूजा की. इसके बाद 24 मार्च को पीएम मोदी के दौरे की तैयारियों का जायजा लिया. जब सीएम योगी कालभैरव मंदिर में पूजा कर रहे थे तब बिजली नहीं थी. मंदिर में अंधेरा छाया था. ये बताना जरूरी है.
19 मार्च यानी हड़ताल का दूसरा दिन. सीएम योगी आदित्यनाथ पहुंचते हैं अयोध्या दौरे पर. करीब 5 घंटे अयोध्या में रहते हैं. हनुमानगढ़ी मंदिर, फिर रामलला की पूजा करते हैं. इसके बाद अयोध्या में चल रहे विकास कार्यों का उन्होंन जायजा लिया. मौके पर मौजूद इंजीनियरों से सीएम योगी ने निर्माण कार्यों की पूरी जानकारी ली.
18 मार्च की ही शाम को सीएम योगी और ऊर्जा मंत्री की एक बैठक हुई बिजली कर्मचारियों के हड़ताल के मुद्दे पर. लेकिन इस बैठक में क्या कुछ हुआ वो बात सामने नहीं आई. हालांकि अलग-अलग मीडिया चैनलों पर ये ख़बर जरूर चली कि सीएम योगी इस हड़ताल से नाखुश थे. उन्होंने हड़ताल जल्दी खत्म कराने के निर्देश दिए. इस बैठक को लेकर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिर्फ इतना ही कहा कि “हमन मुख्यमंत्री को इस स्थिति की पूरी जानकारी दी है.” लेकिन बड़ा सवाल ये है कि प्रदेश में किसी भी मुद्दे पर सुपर एक्टिव दिखने वाले सीएम योगी बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर तस्वीरों से गायब नज़र क्यों आए?
कौन हैं एके शर्मा, मोदी के खास ?
उत्तर प्रदेश के मऊ ज़िले के मूल निवासी एके शर्मा पूर्व नौकरशाह रहे हैं. एके शर्मा गुजरात कैडर में 1988 बैच के IAS अधिकारी रहे. एके शर्मा की पहचान 2001 के बाद उभर कर सामने आती है. जब वो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरंद्र मोदी के कार्यालय यानी सीएम ऑफिस से जुड़े. 2001 के बाद जब तक एके शर्मा नौकरशाह रहे तब तक नरेंद्र मोदी के करीब रहकर ही काम करते रहे. या यूं कहें कि नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपने नजदीक रखकर ही काम लिया.
साल 2014 आता है. देश में आम चुनाव हुए. चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बहुमत मिली. नरेंद्र मोदी भाजपा के चेहरा बने हुए थे. वही प्रधानमंत्री बने. इसी के साथ नरेंद्री मोदी सीएम से पीएम बन गए. उनका दफ्तर गुजरात से दिल्ली आ गया. लेकिन सिर्फ दफ्तर ही नहीं आया. दफ्तर में नरेंद्र मोदी के सबसे करीबी एके शर्मा को भी दिल्ली लाया गया. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर एके शर्मा पीएम कार्यालय में आ गए. 2014 में वह पीएमओ में संयुक्त सचिव के पद पर रहे. उसके बाद प्रमोशन पाकर सचिव बने.
भाजपा में एंट्री:
2020 में एके शर्मा ने वीआरएस ले लिया. यानी कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति. नौकरी से अलग हुए तो ये साफ था कि एके शर्मा की जल्द ही राजनीति में एंट्री होगी. हुआ भी वही. जनवरी, 2021 में में एके शर्मा ने भाजपा का दामन थाम लिया. बीजेपी के तब प्रदेश अध्यक्ष रहे स्वतंत्रदेव सिंह और उप मुख्यमंत्री रहे डॉ. दिनेश शर्मा ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई. बीजेपी ज्वाइन करते ही यूपी की राजनीति में एके शर्मा ने खलबली मचा दी. चर्चाएं शुरू हो गईं कि यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार में एके शर्मा को डिप्टी सीएम बनाया जाएगा.
एके शर्मा को 2021 में योगी मंत्रिमंडल विस्तार कर डिप्टी सीएम बनाने की चर्चा थी. लेकिन भाजपा सूत्रों का कहना था कि इन कयासों से योगी आदित्यनाथ बेहद नाखुश और नाराज़ थे. क्योंकि योगी अपनी सरकार में दो पावर सेंटर नहीं देखना चाहते थे. योगी ये नहीं चाहते थे कि उनकी सरकार में कोई ऐसा रहे जिसे ‘दिल्ली के दूत’ के तौर पर देखा जाए. इसकी वजह एके शर्मा की नरेंद्र मोदी से नजदीकी है.
दो पावर सेंटर वाली बात के लिए कोरोना के दौर में पीएम मोदी के एक बयान को याद करना चाहिए. कोरोना काल में पूर्वांचल और खासकर वाराणसी जो प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र है की कमांड एके शर्मा के हाथों में थी. तब वाराणसी के स्वास्थ्यकर्मियों या सरकारी शब्दावली में कहें तो कोरोना योद्धाओं से पीएम मोदी संवाद कर रहे थे. इस दौरान पीएम मोदी ने बनारस के कोविड मैनेजमेंट की खूब तारीफ की थी. जिससे पावर सेंटर वाली चर्चा को हवा मिली थी.
पावर सेंटर का पावर कट?
सबसे बड़ा सवाल है कि क्या बिजली कर्मचारियों के हड़ताल के बहाने पीएम मोदी के करीबी और ऊर्जा मंत्री एके शर्मा का पावर कट होगा? उत्तर प्रदेश का ऊर्जा विभाग बड़े घाटे का सामना कर ही रहा है. ये बात खुद को ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही है. दूसरी ओर बिजली कर्मचारियों ने हड़ताल कर दिया. इतना हंगामा हुआ. हड़ताल ने ये मैसेज देने का काम किया कि एके शर्मा कर्मचारी नेताओं को मना नहीं पाए या मैनेज नहीं कर पाए. तो क्या ‘दिल्ली’ की जो कोशिश थी कि ‘लखनऊ’ में ‘दूत’ भेजकर योगी के बरक्स एक और पावर सेंटर बनाई जाए उसकी हवा योगी ने निकाल दी? या ये कहें कि लखनऊ में बैठक योगी आदित्यनाथ ने ‘दिल्ली’ को लाल आंख दिखाई है ?