ऋषभ चौरसियाः-
लखनऊ में 69000 शिक्षक भर्ती के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने एक बार फिर से धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। बेसिक शिक्षा निदेशालय के सामने जुटे ये अभ्यर्थी हाईकोर्ट लखनऊ के डबल बेंच द्वारा दिए गए फैसले को तुरंत लागू करने की मांग कर रहे हैं। मंगलवार सुबह करीब 10 बजे से ही बड़ी संख्या में अभ्यर्थी यहां एकत्रित होना शुरू हो गए थे। अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए उन्हें न्याय देना चाहिए और नियुक्ति की प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए।
भर्ती प्रक्रिया और विवाद की पृष्ठभूमि
69000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी। इस भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ कथित रूप से अन्याय हुआ, जिससे वे नौकरी पाने से वंचित रह गए। इस मुद्दे को लेकर अभ्यर्थियों ने लंबे समय तक संघर्ष किया, जिसमें कानूनी लड़ाई भी शामिल थी। अंततः, लखनऊ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने हाल ही में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह तीन महीने के भीतर आरक्षण नियमों का पालन करते हुए नई चयन सूची जारी करे।
अभ्यर्थियों की मांग
धरने का नेतृत्व कर रहे अमरेंद्र पटेल का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। पटेल ने बताया कि सरकार ने केवल एक बैठक आयोजित की है, लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर कोई शेड्यूल या समयसीमा जारी नहीं की गई है। उनका कहना है कि अभ्यर्थी चाहते हैं कि सरकार जल्द से जल्द इस मामले में कार्रवाई करे और नई चयन सूची जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाए।
अमरेंद्र पटेल ने कहा कि, “हमारी मांग है कि सरकार कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए हमारी नियुक्ति प्रक्रिया का कार्यक्रम शेड्यूल जारी करे। हमने बहुत लंबा इंतजार किया है और अब न्याय की उम्मीद में यहां धरने पर बैठे हैं।”
धरना जारी रहेगा
अभ्यर्थियों का यह आंदोलन तब तक जारी रहने की संभावना है जब तक कि सरकार उनकी मांगों को नहीं मान लेती। वे स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि अगर सरकार ने जल्द ही कोई कार्रवाई नहीं की तो उनका आंदोलन और तेज हो सकता है। धरना स्थल पर अभ्यर्थियों की बढ़ती संख्या और उनके आक्रोश को देखते हुए यह आंदोलन सरकार के लिए एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन सकता है।