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Reading: बजट 2024ः कर्मचारियों की आशाओं को झटका, लेकिन टैक्स स्लैब में राहत
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बजट 2024ः कर्मचारियों की आशाओं को झटका, लेकिन टैक्स स्लैब में राहत

Desk
Last updated: July 23, 2024 1:28 pm
Desk Published July 23, 2024
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आनन्द कुमारः-

भारत सरकार का हालिया अंतरिम बजट कर्मचारी हितों के मामलों में निराशाजनक साबित हुआ है। पुरानी पेंशन की बहाली, 8वें वेतन आयोग की स्थापना और 50% महंगाई भत्ता का मूल वेतन में विलय जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई घोषणा नहीं की गई है। ये मुद्दे कर्मचारियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, और इनकी अनदेखी से कर्मचारियों में निराशा व्याप्त है।

कर्मचारी हितों की अनदेखी

फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की मांग को दरकिनार कर दिया गया है। 8वें वेतन आयोग की स्थापना की प्रतीक्षा कर रहे कर्मचारियों के लिए यह बजट निराशाजनक रहा है। इसके अलावा, 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट के अनुरूप 50% महंगाई भत्ते को मूल वेतन में विलय की घोषणा का भी इंतजार किया जा रहा था, लेकिन इस पर भी कोई कदम नहीं उठाया गया है।

टैक्स स्लैब में बदलाव

हालांकि, बजट में कुछ स्वागत योग्य पहल भी की गई हैं। स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया गया है, जो मध्यम वर्ग के कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आया है। इसके साथ ही, इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव भी किया गया है, जिससे मध्यम वर्ग को कुछ हद तक राहत मिलेगी।

फार्मा उद्योग के लिए प्रोत्साहन

बजट में फार्मा उद्योग के लिए भी कुछ सकारात्मक कदम उठाए गए हैं। कैंसर मेडिसिन को कस्टम ड्यूटी से मुक्त किया गया है, जो रोगियों के लिए राहत का काम करेगा। फार्मा उद्योग में Production Linked Incentive (PLI) को 1200 करोड़ से बढ़ाकर 2143 करोड़ किया गया है, जिससे उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। सुनील यादव ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह फार्मा उद्योग के लिए सकारात्मक संकेत है।

संविदा और ठेकेदारी प्रथा पर सवाल

सुनील यादव ने बजट में संविदा और ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दिए जाने पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि स्थाई रोजगार सृजन ना होने से तकनीकी योग्यता धारक लोगों को अल्प वेतन और भविष्य की असुरक्षा के बीच कार्य करना पड़ रहा है। यह कर्मचारियों के हितों के खिलाफ है और उन्हें अस्थायी रोजगार की स्थिति में बनाए रखता है।

फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव

स्वास्थ्य और चिकित्सा का अधिकार

सरकार ने आमजन के लिए कई योजनाएं लेकर आई हैं, लेकिन स्वास्थ्य और चिकित्सा के अधिकार को लागू करना अभी भी जरूरी है। सुनील यादव ने कहा कि देश के सरकारी कर्मियों और फार्मा उद्योग ने आपदा काल में बड़ी जनहानि को रोका था और देश का नाम विश्व पटल पर स्वर्णाक्षरों में लिखा गया था। लेकिन बजट में एक बार भी सरकारी कर्मियों के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है, जो अत्यंत निराशाजनक है।

फार्मेसी क्षेत्र की चुनौतियां

भारत में फार्मेसी क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। देश में लगभग 37 लाख योग्य फार्मा तकनीकी योग्यता धारक हैं, जिनकी तकनीकी क्षमता का उपयोग सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। बजट में मेडिकल कॉलेज बनाए जाने की घोषणा की गई है, लेकिन वर्तमान ढांचे का उपयोग करते हुए। इससे जनता को निशुल्क औषधियां और इलाज की सुविधाओं में कमी आ सकती है।

बजट 2024 कर्मचारियों के हितों की दृष्टि से अत्यंत निराशाजनक साबित हुआ है। कर्मचारियों की पुरानी पेंशन, 8 वें वेतन आयोग और महंगाई भत्ते के विलय जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई कदम नहीं उठाया गया है। हालांकि, टैक्स स्लैब में बदलाव और फार्मा उद्योग के लिए प्रोत्साहन जैसे कुछ सकारात्मक पहल भी की गई हैं, लेकिन यह कर्मचारियों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं। कर्मचारियों की आशाएं अभी भी अधूरी हैं, और उन्हें भविष्य में बेहतर प्रावधानों की आशा है।

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